टूटा दिल और धड़कन को एहसास ना हुआ,
पास होकर भी वो दिल के पास न रहा,
जब दूर थी तो,जान थी मेरी,
आज जब हम क़रीब आये तो वो एहसास ना रहा..!!
बिन बात के ही रूठने की आदत है, किसी अपने का साथ पाने की चाहत है,
आप खुश रहें, मेरा क्या है मैं तो आईना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है..!!
लोग पूछते हैं क्यों सुर्ख हैं तुम्हारी आँखे, हंस के कह देता हूँ रात सो ना सका,
लाख चाहूं मगर ये कह ना सकूँ, रात रोने की हसरत थी रो ना सका..!!
ना जाने कोनसी शिकायतों का
हम शिकार हो गए,
जितना दिल साफ रखा उतना
गुनहगार हो गए,
बहुत आसान है दर्द को छुपाना,
पर नहीं आसान किसी अपने को भुलाना।
हम तो मौजूद थे रात में उजालों की तरह,
लोग निकले ही नहीं ढूढ़ने वालों की तरह,
दिल तो क्या हम रूह में भी उतर जाते,
तुमने चाहा ही नहीं चाहने वालों की तरह।
उतना हसीन फिर कोई लम्हा नहीं मिला,
तेरे जाने के बाद कोई भी तुझ सा नहीं मिला,
सोचा करूँ मैं एक दिन खुद से ही गुफ्तगू,
लेकिन कभी मैं खुद को तन्हा नहीं मिला।
अजीब रंग का मौसम चला है कुछ दिन से,
नजर पे बोझ है और दिल खफा है कुछ दिन से,
वो और था जिसे तू जानता था बरसों से,
मैं और हूँ जिसे तू मिल रहा है कुछ दिन से।
न किसी के दिल की हूँ आरजू,
न किसी नजर की हूँ जुस्तजू,
मैं वो फूल हूँ जो उदास है,
न बहार आए तो क्या करूँ।
बहुत लहरों को पकड़ा डूबने वाले के हाथों ने,
यही बस एक दरिया का नजारा याद रहता है,
मैं किस तेजी से ज़िंदा हूँ मैं ये भूल जाता हूँ,
नहीं आना इस दुनिया में दोबारा याद रहता है।
न जाने क्यूँ वक़्त इस तरह गुजर जाता है,
जो वक़्त था वो पलट कर सामने आता है,
और जिस वक़्त को हम दिल से पाना चाहते हैं,
वो तो बस एक लम्हा बनकर बीत जाता है।
प्यास दिल की बुझाने वो कभी आया भी नहीं,
कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं,
बेरुख़ी इस से बड़ी और भला क्या होगी,
एक मुद्दत से हमें उसने सताया भी नहीं।
माना कि किस्मत पे मेरा कोई जोर नहीं,
पर ये सच है कि मोहब्बत मेरी कमज़ोर नहीं,
उसके दिल में, यादों में कोई और है लेकिन,
मेरी हर साँस में उसके सिवा कोई और नहीं।
कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी,
चैन से जीने की सूरत नहीं हुई,
जिसको चाहा उसे अपना न सके,
जो मिला उससे मोहब्बत न हुई।
वो चाँदनी का बदन खुशबुओं का साया है,
बहुत अजीज़ हमें है मगर पराया है,
उसे किसी की मोहब्बत का ऐतबार नहीं,
उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है।
सिर्फ चेहरे की उदासी से
भर आये तेरी आँखों में आँसू,
मेरे दिल का क्या आलम है
ये तो तू अभी जानता नहीं।
हर तन्हा रात में एक नाम याद आता है,
कभी सुबह कभी शाम याद आता है,
जब सोचते हैं कर लें दोबारा मोहब्बत,
फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है।
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