एक सच्ची शहादत के लिए।
बुजुर्गों की विरासत के लिए।
घर छोड़ा, गांव छोड़ा, छोड़ा जहां,
सरहदों पर हिफाजत के लिए ।
एक अजनबी के घर में गुजारी है जिंदगी |
लगता है जैसे सफर में गुजारी है जिंदगी |
ये और बात है कि मैं तुझसे दूर हूँ,
लेकिन तेरे अशर में गुजारी है जिंदगी |
महफिल में हम भी उनको पहचानने से मुकर गए,
महफिल में हम भी उनको पहचानने से मुकर गए,
जब वह भी अनदेखा कर, नजदीक से गुजर गए ll
पर तुम्हारी याद बहुत आयी
पर तुम्हारी याद बहुत आयी
बीते हुए लम्हो के साथ फिर लौट आयी
पर तुम्हारी याद बहुत आयी
किताबों से भी निकल कर आयी
कभी खामोसी के साथ आयी
पर तुम्हारी याद बहुत आयी
कभी आँखों में आंसू बनकर आयी
तो कभी छू लेती मेरे दिल की गहरायी
पर तुम्हारी याद बहुत आयी
ग़म है या ख़ुशी है, पर मेरी ज़िन्दगी हैं तू..
आफतों के दौर में, चैन की घडी हैं तू..
मेरी रात का चराग, मेरी नींद भी हैं तू..
मैं फिजा की शाम हूँ, रूत बहार की हैं तू..
दोस्तों के दरमियान, वजह-ए-दोस्ती है तू..
मेरी सारी उम्र में, एक ही कमी हैं तू..
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