मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद,
वक़्त-बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं,
मेरी गली से गुजरते हैं छुपा के खंजर,
रुबरू होने पर सलाम किया करते हैं।
हालात के कदमों पर समंदर नहीं झुकते,
टूटे हुए तारे कभी ज़मीन पर नहीं गिरते,
बड़े शौक से गिरती हैं लहरें समंदर में,
पर समंदर कभी लहरों में नहीं गिरते।
मेरी तकदीर में जलना है तो जल जाऊँगा,
मैं कोई तेरा वादा तो नहीं जो बदल जाऊँगा,
मुझको न समझाओ मेरी ज़िन्दगी के उसूल,
मैं खुद ही ठोकर खा के संभल जाऊँगा।
कहते है हर बात जुबान से इशारा नहीं करते,
आसमान पर चलने वाले जमीं पे गुजारा नहीं करते,
हर हालात को बदलने की हिम्मत है हम में,
वक़्त का हर फैसला हम गंवारा नहीं करते।
खुद से जीतने की जिद है मेरी,
मुझे खुद को ही हराना है,
मैं भीड़ नहीं हूँ दुनिया की,
मेरे अन्दर ही ज़माना है।
उसे लगता है कि उसकी चालाकियाँ
मुझे समझ नहीं आती,
मैं बड़ी खामोशी से देखता हूँ उसे
अपनी नजरों से गिरते हुए।
वो खुद पे इतना गुरूर करते हैं
तो इसमें हैरत की बात नहीं,
जिन्हें हम चाहते हैं
वो आम हो ही नहीं सकते।
आदतें बुरी नहीं, शौक ऊँचे हैं,
वर्ना किसी ख्वाब की इतनी औकात नहीं
कि हम देखे और पूरा ना हो।1a¹
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