सम्पादकीय ka sandes JKPG college - Dil kee zubaan

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शनिवार, 4 सितंबर 2021

सम्पादकीय ka sandes JKPG college

                                                                     सम्पादकीय


कल्याण किरण का नवम् अंक आपके हाथों में देते हुए मुझे अत्यन्त हर्ष का अनुभव हो रहा है। महाविद्यालय की पत्रिका का उद्देश्य रचनाशील युवाओं को रचनात्मक पटल प्रदान करने के साथ-साथ उनकी चिंतन व कल्पनाशक्ति का विकास करना भी है।


अभिव्यक्ति चाहें अभिद्या के रस में तिर रही हो या व्यंजना में पगी हो, अलग आस्वादन कराती हैं और अलग प्रभाव छोड़ती है। लेखक और रचनाकार जब संवेदना और अनुभूतियों की गहराई में पहुँच जाता है, तो उसकी अभिव्यक्ति मानवता के साथ तारतम्य स्थापित कर लेती है और उसके व्यक्तिगत विचार, भाव और संवेदना व्यापक हो समष्टिगत हो जाते है। तब अपने ही शब्द उदात्त भाव स्थिति को प्राप्त कर लेते है। और कलम कह उठती


                                              न मुकाम है शिवालय, न पड़ाव मेरा मस्जिद

                                               मेरा धर्म आदमियत, मेरा धर्म हैं उजाला ॥

                                               मैं कलम का एक जोगी, मेरा दाम मत लगाओ।

                                               मेरी आँख में जिगर है, मेरे मन में है निराला ॥


स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा था, "विचार विकास का बीज है।" जीवन में हम जो कुछ भी करते है, कर पाते हैं, या करना चाहते हैं, उन सबका जन्म पहले एक विचार के रूप में होता है। जब एक विचार जन्म लेता है तब उसको एक क्रिया में बदलने की सम्भावना का जन्म होता है। और यही सम्भावना विकास में बदल जाती है। इसलिए हमें प्रयास करना चाहिए, विचारों को जन्म देने का।


प्रस्तुत पत्रिका में उपरोक्त भावबोध को साकार करते ऐसे ही लेख और रचनायें संकलित है। पत्रिका की सुनिश्चित सीमा रेखा के भीतर कविता, कहानी, लेख, व्यंग्य आदि विधाओं के माध्यम से शिक्षक/शिक्षिकाओं व छात्र/छात्राओं की मेधा सृजनात्मकता और विद्वता का संगम प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। महाविद्यालय परिसर की विविध गतिविधियों एवं छात्र छात्राओं की प्रखर प्रतिभा का दस्तावेज है- 'कल्याण किरण'


पत्रिका प्रकाशन के शुभ अवसर पर मैं विद्वता और सहजता की मूर्ति तथा सहज, सरल व सौम्य व्यक्तित्व सम्पन्न महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. सविता वशिष्ठ की अत्यन्त आभारी हूँ, जिन्होंने पत्रिका के सम्पादन का कार्य मुझे सौंपा और पत्रिका प्रकाशन में कदम-कदम पर मेरा मार्ग दर्शन कर इस कार्य को सम्भव बनाने में अपने विश्वास एवं प्रेरणा का अमूल्य योगदान दिया। साथ ही मैं अपने सहयोगी सम्पादक मण्डल के सदस्यों का भी धन्यवाद करती।


जिनके अमूल्य सहयोग के बिना यह कार्य सम्भव नहीं था। अन्त में पत्रिका इस आशा के साथ पाठकों को समर्पित है कि यह उनमें एक सकारात्मक सोच तथा अपने महाविद्यालय के सर्वागीण विकास की शुभ कामना के साथ....


परिवेश का विश्लेषण करने की क्षमता को प्रोत्साहित करेगी।

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