“कभी कभी मेरी बात भी, समझ लिया करो, - Dil kee zubaan

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सोमवार, 12 सितंबर 2022

“कभी कभी मेरी बात भी, समझ लिया करो,

 “तुम्हे में ढूंढ़ता रहा समुन्दर के किनारे,

तुम घूम रही थी किसी और के सहारे,
याद तुम्हारी करके पागल हुआ में,
बिना किसी औजार के घायल हुवा में.”

यादो में तेरी तन्हा बैठे हे,
तेरे बिना लबों की हसी गवा बैठे हे,
तेरी दुनिया में अँधेरा न हो,
इसलिए खुद का दिल जला बैठे हे
“.

ना रास्तो ने साथ दिया,
ना मंजिल ने इंतज़ार किया,
में क्या लिखू अपनी जिंदगी पर,
मेरे साथ तो मेरी,

उम्मीदों ने भी मजाक किया”.

“पाने से खोने का मज़ा और हे,
बंद आँखों से देखने का मज़ा कुछ और हे,
आंसू बने लफ्ज़ और लफ्ज़ बने ग़ज़ल,
तेरी यादो के साथ जीने का मज़ा कुछ और हे
“.

नसीब वाले होते हे वो लोग,
जिनकी फिक्र करनेवाला,
और चाहत करनेवाला कोई नहीं होता
“.




कभी कभी मेरी बात भी,
समझ लिया करो,
इस दुनिया में,
तुम्हारे सिवा हे ही कौन,
मुझे समझ ने वाला”.

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