वो नकाब लगा कर खुद को,
इश्क से महफूज समझते रहे।
नादां इतना भी नहीं समझते कि इश्क
चेहरे से नहीं आँखों से शुरू होता है।
बदलना नहीं आता हमें मौसम की तरह,
हर एक रूप मैं तेरा इंतज़ार करते है,
ना तुम समझ सको कयामत तक,
कसम तुम्हारी तुम्हे इतना प्यार करते है।
मत पूछ वजह की क्यू चाहती हूँ तुझे,
क्योंकि साचा इश्क वजह से नहीं बेवजह होता है।
दिल के बाज़ार में दौलत नही देखी जाती।
प्यार अगर हो जाये तो सूरत नही देखी जाती।
वो नकाब लगा कर खुद को,
इश्क से महफूज समझते रहे।
नादां इतना भी नहीं समझते कि इश्क
चेहरे से नहीं आँखों से शुरू होता है।
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