चल मेरे हमनशीं अब कहीं और चल,
इस चमन में अब अपना गुजारा नहीं,
बात होती गुलों तक तो सह लेते हम,
अब काँटों पे भी हक हमारा नहीं।
सिर्फ चेहरे की उदासी से
भर आये तेरी आँखों में आँसू,
मेरे दिल का क्या आलम है
ये तो तू अभी जानता नहीं।
वो चाँदनी का बदन खुशबुओं का साया है,
बहुत अजीज़ हमें है मगर पराया है,
उसे किसी की मोहब्बत का ऐतबार नहीं,
उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है।
कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी,
चैन से जीने की सूरत नहीं हुई,
जिसको चाहा उसे अपना न सके,
जो मिला उससे मोहब्बत न हुई।
माना कि किस्मत पे मेरा कोई जोर नहीं,
पर ये सच है कि मोहब्बत मेरी कमज़ोर नहीं,
उसके दिल में, यादों में कोई और है लेकिन,
मेरी हर साँस में उसके सिवा कोई और नहीं।
ठोकर न लगा मुझे पत्थर नहीं हूँ मैं,
हैरत से न देख कोई मंज़र नहीं हूँ मैं,
उनकी नजर में मेरी कदर कुछ भी नहीं,
मगर उनसे पूछो जिन्हें हासिल नहीं हूँ मैं।
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